रात रात भर जाग जाग कर
मैंने तुम्हारे सपने देखें हैं.
सपनों में आकर, मुझको लुभा कर, यूं भरमाकर,
कहाँ तुम चले गए....
हमकदम बन हर कदम तुम मेरे साथ चलो न चलो
बात मैं जो सुनना चाहूं वो कभी कहो न कहो
ज़िन्दगीभर तुम मेरे साथ रहो न रहो
न चाहो मुझे तो फिर कभी मिलो न मिलो
पर यै यार मेरे, तुम इतने भी संगदिल न बनो
कम से कम सपनों में तो आ जाया ही करो...
wah sundar kavita............
ReplyDeleteShukriya, Ana.
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