Monday, September 6, 2010

एक हवा का झोंखा था वो...

एक हवा का झोंखा था वो
जो गालों को सहला गया
फिर जुल्फों को छेड़ गया
और होंटों को सुर्ख कर
साँसों में समां गया.

पल-पल उठती लहरों-सा
झूले में झूलता महबूब-सा
झपकती हुयी पलकों जैसा
मोर-पंख का छुवन है वैसा
हर एक अंग हल्का-सा छूकर चला गया.

क्या सिर्फ एक एहसास था वो
जो तन को चीर मन में उतर गया?
आँखों में नमी, कभी कम न होनेवाली कमी दे गया
लगता था बस अभी अपने आलिंगन में छुपा लेगा
पर कुछ कहने सुनने से पहले चला गया वो.

रुक जाता ठोड़ी देर और
तो अपने बाहों में भर लेती
जितने मृदु चुम्बन उसने दिए
एक एक कर सारे लौटा देती
अपनी चाहत कि शीतल चांदनी से उसके सारे घाव भर देती.

पर ठहरना उसकी फितरत नहीं
एक हवा का झोंखा था वो
जो आया, चला गया
न जाने कैसे इतने में ही ज़िन्दगी का हर मायना बदल गया
पर क्या यही कम है कि क्षणभर आ टकरा गया?

12 comments:

  1. अनंतर्मन के मनोहारी अहसास - बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  2. @ न जाने कैसे इतने में ही ज़िन्दगी का हर मायना बदल गया
    पर क्या यही कम है कि क्षणभर आ टकरा गया?

    प्रेममयी अनुभूति। सुन्दर प्रस्तुति। शब्दों को थोड़ा और थामती चलें।

    झोंखा - झोंका।

    ReplyDelete
  3. राकेशजी, शुक्रिया!

    ReplyDelete
  4. गिरिजेश्जी, झोंका ही लिखा था. पर मैं सीधे हिन्दी में टैप नही करती. अंग्रेजी में टैप करके, हिन्दी में बदलते वक्त ये
    गलती रह गई. सुधारने के लिए शुक्रिया.

    ReplyDelete
  5. सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  6. @Patali-The-Village, शुक्रिया!

    ReplyDelete
  7. रचना का जो मूल है प्रेम भाव भरपूर।
    अन्तर्मन के भाव का खूब दिखाया नूर।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

    ReplyDelete
  8. bahut sundar rachna......man k bhavo ki bahut hi manohari prastuti hai
    pls visit my blog
    www.ultayug.blogspot.com

    ReplyDelete
  9. क्या सिर्फ एक एहसास था वो
    जो तन को चीर मन में उतर गया?
    आँखों में नमी, कभी कम न होनेवाली कमी दे गया
    लगता था बस अभी अपने आलिंगन में छुपा लेगा
    पर कुछ कहने सुनने से पहले चला गया वो.

    बहुत सुंदर लिखा है...

    ReplyDelete
  10. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    ReplyDelete
  11. @श्यामल सुमनजी, राहुल, वीणा, अजय कुमारजी, आनंद पाण्डेयजी, सुरेन्द्र सिंघजी, बहुत शुक्रिया कि आपने मेरी रचना पढ़कर टिप्पणी देने का कष्ट किया.Thanks for visiting.

    ReplyDelete
  12. संगीताजी, शुक्रिया! सच पूछिए तो, मैंने लिखना छोड़कर बड़े साल हो गए. ये सारी मेरी बहुत पुरानी कवितायेँ हैं!

    ReplyDelete